आगामी बजट (Budget 2023-24) में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। पिछले बजट में केवल 4.32 फीसदी की भागीदारी पर सिमट गईं महिलाओं को यह बढ़त एमएसएमई सेक्टर में औद्योगिक कार्य करने पर विशेष प्रोत्साहन योजना और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में ज्यादा भागीदारी के माध्यम से मिल सकती है। सरकार तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा में महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की शुरुआत कर सकती है। जिस तरह महिला मतदाता भाजपा के लिए सत्ता में आने की गारंटी साबित हो रही हैं, और इसी वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, माना जा रहा है कि इस कोर वोटर बैंक को साधने के लिए सरकार बजट में इनके लिए विशेष प्रावधान कर सकती है ,
केंद्र की योजनाओं के केंद्र में महिलाएं
आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि केंद्र सरकार की 80 फीसदी से ज्यादा कल्याणकारी योजनाओं के केंद्र में सीधे तौर महिलाएं शामिल होती हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, राशन योजना, उज्जवला योजना और मनरेगा सहित अनेक योजनाओं के केंद्र में महिलाएं ही लाभार्थी होती हैं। महिलाओं के लिए निर्धारित होने वाले पिछले बजट में सबसे बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से आया था।
महिला वोटर क्यों महत्त्वपूर्ण
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2007 में यूपी विधानसभा के चुनाव में बसपा को 32 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था और मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं थीं। 2012 में 31 फीसदी महिलाओं ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। 2017 में 41 फीसदी महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया, तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने सपा की तुलना में 16 फीसदी ज्यादा भाजपा को वोट दिया और योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए।
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