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क्या फिर बदलेगा बदायूं सीट से सपा का उम्मीदवार

समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव का बदायूं से टिकट बदला जा सकता है। न सिर्फ सियासी गलियारों में बल्कि समाजवादी पार्टी के भीतर भी इस बात की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है। कहा यही जा रहा है कि यह फैसला बदायूं में भारतीय जनता पार्टी के घोषित किए जाने वाले प्रत्याशी के बाद हो सकता है। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के बदायूं से घोषित प्रत्याशी शिवपाल यादव अब तक तैयारी के साथ क्षेत्र में नहीं उतरे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा तो इस बात की भी है कि शिवपाल यादव खुद बदायूं से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगले दो-तीन दिनों के भीतर बदायूं से सपा के प्रत्याशी को लेकर बड़ा बदलाव हो सकता है।

बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में समाजवादी पार्टी की बदायूं सीट पर प्रत्याशी के बदलने की चर्चा होने लगी है। दरअसल समाजवादी पार्टी ने अपनी पहली सूची में धर्मेंद्र यादव को बदायूं से प्रत्याशी घोषित किया था। उसके बाद बदलाव करते हुए धर्मेंद्र यादव की जगह पर शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया गया। सियासी गलियारों में इस बदलाव के बाद चर्चा यह होने लगी कि आखिर शिवपाल यादव को बदायूं से प्रत्याशी क्यों बनाया गया है? कहा यह तक जा रहा था कि शिवपाल यादव बदायूं से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि शिवपाल यादव का टिकट घोषित होने के बाद बदायूं क्षेत्र में भी अब तक वह नहीं उतरे हैं। जबकि एक बार उनका और एक बार उनके बेटे का कार्यक्रम वहां पर लगाया जा चुका है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल समाजवादी पार्टी एक बार फिर से बदायूं लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बदल सकती है। सियासी जानकारों की मानें तो धर्मेंद्र यादव को बदलने का फैसला समाजवादी पार्टी के बड़े नेता सलीम शेरवानी के पार्टी छोड़ने के बाद लिया गया था। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो सलीम शेरवानी के पार्टी छोड़ने का असर इस सीट पर समाजवादी पार्टी को होता हुआ नहीं दिख रहा है। इसलिए अब समाजवादी पार्टी को इंतजार वहां पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के नाम एलान पर है। जिसके बाद ही सपा प्रत्याशी बदलने का फैसला करेगी।

दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की संघमित्रा मौर्य ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र को हरा दिया था। लेकिन इस बार संघमित्रा के टिकट पर भी संकट के बादल छाए हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर भारतीय जनता पार्टी यहां पर किसी अन्य प्रत्याशी को मैदान में उतारती है, तो समाजवादी पार्टी शिवपाल यादव को बदलने का फैसला ले सकती है। ऐसी दशा में समाजवादी पार्टी एक बार फिर से या तो धर्मेंद्र यादव या फिर अपने परिवार में से किसी एक अन्य सदस्य को सियासी मैदान में उतर सकती है। भारतीय जनता पार्टी की टिकट बंटवारे को लेकर महत्वपूर्ण बैठक सोमवार को होनी है। उसके एक-दो दिन के भीतर प्रत्याशियों की लिस्ट आने का अनुमान लगाया जा रहा है। चर्चा इस बात की हो रही है कि भाजपा की लिस्ट आने के साथ ही बदायूं सीट पर सपा एक बार फिर से विचार कर सकती है।

News Prasar

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