बड़े खतरे की आशंका! – अगर टिहरी डैम टूटा तो 1 घंटे में हरिद्वार, ऋषिकेश,बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर तक का इलाका पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा
माना जा रहा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में आई आपदा के लिए जलविद्युत परियोजनाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. टनल निर्माण से यहां की जमीन भीतर पूरी तरह खोखली हो गई थी. नतीजा ये है कि अब ये जगह-जगह दरकने लगी है. ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं पर कई सवाल उठने लगे हैं. जलविद्युत परियोजनों पर उठ रहे सवालों के बीच विश्व के सबसे बड़े बांधों में एक टिहरी बांध पर भी चर्चा तेज है, जिस टिहरी बांध को 24 सौ मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए बनाया गया था. टिहरी बांध को बनाने में जहां टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा, वहीं 37 गांव पूरी तरह डूब गए. यही नहीं अन्य 88 गांव भी आंशिक रूप प्रभावित हुए हैं. हालात ये हैं कि टिहरी बांध बनने से 40 गांवों में हर समय खतरा मंडराया हुआ है. इन गांवों में अक्सर जमीन दरकने की घटनाएं होती रहतीं हैं. टिहरी बांध में तीन चरणों में काम होना था. लेकिन जिस योजना को बनाने में एक पूरी सभ्यता को डूबा दिया गया. वहां अभी भी लक्ष्य के मुताबिक बिजली उत्पादन नही हो रहा है. यही नहीं, माना जाता है कि अगर बड़ी तीव्रता का भूंकप आया तो डैम भी टूट सकता है. अगर ऐसा हुआ तो तय है कि ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर तक का इलाका पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा. अगर टिहरी बॉंध टूटा तो मात्र एक घंटे में ऋषिकेश और हरिद्वार पूरी तरह पानी में डूब जाएंगे. जबकि 12 घंटे में डैम का पानी मेरठ तक पहुंच जाएगा. इसके अलावा टिहरी बांध की 42 किलोमीटर लंबी झील को खाली होने में सिर्फ 22 मिनट का समय लगेगा.
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