कानपुर देहात के बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे 30 महीने बाद शनिवार को जेल से बाहर आ गई। पूरे दिन चली जद्दोजहद के बाद अदालत ने उसका रिहाई परवाना जारी किया, तो परिजनों के चेहरे खिल गए। माती स्थित जिला कारागार से शाम करीब साढ़े सात बजे खुशी को जेल से बाहर निकाला गया। वह माता-पिता के साथ अधिवक्ता की कार से कानपुर नगर के पनकी स्थित अपने घर के लिए रवाना हो गई। बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे को आठ जुलाई 2020 को चौबेपुर पुलिस ने हत्या, हत्या की साजिश, विस्फोटक अधिनियम समेत गंभीर आरोपों में जेल भेजा था। खुशी के मामले की सुनवाई अपर जिला सत्र न्यायाधीश-13 पॉक्सो एक्ट शैलेंद्र वर्मा की अदालत में चल रही थी। खुशी के अधिवक्ता उसके नाबालिग होने का हवाला देकर जमानत की मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने पर खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
खुशी बोली- मुझे कानून पर पूरा भरोसा था
सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को खुशी की जमानत मंजूर कर दी थी। इस बीच खुशी की उम्र 18 साल पूरी हो गई, तो उसे माती कारागार शिफ्ट कर दिया गया था। शनिवार को जेल से बाहर आकर खुशी ने कहा कि उसे अदालत पर पूरा भरोसा है। मुझे कानून पर पूरा भरोसा था, देर लगी लेकिन न्याय मिला।
अधिवक्ता बोले- खुशी पूरी तरह निर्दोष है
उसने कहा कि मुझे आज तक नहीं पता कि किस मामले में जेल गई थी। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कहा कि खुशी पूरी तरह से निर्दोष है। पुलिस के पास खुशी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। सिर्फ पुलिस ने उसे मनमाने ढंग से जेल भेज दिया था। अब जमानत मिल गई है। पूरा भरोसा है कि वह जेल से ससम्मान बरी होगी।
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