कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शिवसेना की कश्मीर में हुई दोबारा एंट्री से महाराष्ट्र की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना न सिर्फ आने वाले दिनों में होने वाले बीएमसी के चुनाव में खुद को मजबूत देख रही है, वहीं कांग्रेस भी शिवसेना के साथ मिलकर 2024 के लोकसभा चुनावों में मजबूत सियासत की नींव रख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना के नेता कांग्रेस से लगातार मिलकर यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अब भारतीय जनता पार्टी से किसी भी तरह मिलने वाले नहीं है। वहीं कांग्रेस की ओर से मिले आश्वासन से शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है।
इस यात्रा में समापन से पहले ही जब शिवसेना के नेता संजय राउत ने कश्मीर में राहुल गांधी के साथ कदमताल की तो महाराष्ट्र की सियासत में चर्चाएं शुरू हो गई। महाराष्ट्र में बने महाविकास आघाडी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि शिवसेना के लिए कांग्रेस का साथ फिलहाल बहुत जरूरी है। इसके पीछे की वजह बताते हुए वो कहते हैं कि शिवसेना के लिए मजबूत जमीन महाराष्ट्र में तभी तैयार हो सकती है, जब उसके साथ कुछ बड़े राजनैतिक संगठन जुड़े हो। इसके लिए कांग्रेस और एनसीपी जैसे राजनीतिक संगठन शिवसेना के लिए मजबूरी भी है और जरूरत भी है। यही वजह है कि जरूरत पड़ने पर शिवसेना कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी दिख रही है।
आने वाले लोकसभा चुनाव और उसके बाद विधानसभा के चुनावों से पहले शिवसेना को अपनी राजनीतिक जमीन बरकरार रखने के लिए यह बेहद जरूरी है। वो बताते हैं कि शिवसेना ने संभाजी ब्रिगेड, कामगार पार्टी और शिक्षक पार्टी समेत कई छोटे छोटे राजनीतिक दलों और बड़ी पार्टियों में एनसीपी और कांग्रेस के साथ अपनी मजबूती बनाई है। सियासी जानकारों का कहना है कि एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी के मजबूत गठबंधन के साथ शिवसेना जब तक किसी बड़े राजनीतिक दल के साथ अपना गठबंधन करके अपनी जमीन मजबूत नहीं बनाएगी तब तक उसके लिए बीएमसी के चुनाव भी बड़ी चुनौती जैसे लगेंगे। दरअसल, राहुल गांधी और संजय राउत के बीच में जम्मू कश्मीर में हुए कदम ताल से माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत से सियासी समीकरण तो साध ही रहे हैं साथ में कांग्रेस के लिए लोकसभा के चुनावों से पहले राजनीतिक जमीन भी तैयार हो रही है। राजनीतिक विश्लेषक जितेन वाडवलकर कहते हैं कि जिस तरीके से राहुल गांधी ने शिवसेना के नेता संजय राउत का बचाव करते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया उससे आने वाले चुनावों में शिवसेना और कांग्रेस के मजबूत रिश्ते की बात पता चलती है। हालांकि, वाडवलकर पर का कहना है कि कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से भी छोटी पार्टियों के साथ मिलकर 2024 के लिए मजबूत किला तैयार कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शितोले कहते हैं कि शिवसेना का महाराष्ट्र के बाहर कोई विशेष राजनीतिक आधार तो नहीं है, लेकिन हिंदुत्ववादी सोच और एक हिंदुत्व की विचारधारा के चलते समूचे देश में पार्टी की पहचान बनी हुई है। एमवीए गठबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद जल्द ही महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना का एक बड़ा सम्मेलन भी होने वाला है। उनका कहना है कि शिवसेना राहुल गांधी के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है बल्कि उनके सामाजिक आंदोलन में सहभागिता भी कर रही है।
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