टी20 विश्व कप 2024 जीतने के साथ ही मुख्य कोच के तौर पर भारतीय टीम के साथ राहुल द्रविड़ का कार्यकाल भी खत्म हो गया। जब द्रविड़ कोच बने थे तो इस बात की काफी चर्चा हुई थी कि आधुनिक क्रिकेट में वह किस प्रकार कोचिंग करेंगे या फिर टी20 क्रिकेट में एक टेस्ट खिलाड़ी का कोच बनना कितना सही है, लेकिन आधुनिक क्रिकेट कोचिंग के भारी दबाव के बीच भी द्रविड़ ने गरिमा और शालीनता से कामयाबी तक के सफर की बानगी दी। यह वही द्रविड़ हैं जो 2007 में वनडे विश्व कप में वेस्टइंडीज की जमीन पर ही भारत के पहले राउंड से बाहर होने के बाद रोए थे, लेकिन अब जब उन्होंने टीम इंडिया से विदाई ली तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। गुरू द्रविड़ ने भारत को वेस्टइंडीज की जमीन पर ही चैंपियन बनाया।
वैसे 11 साल बाद आईसीसी खिताब जीतने के बाद ‘द वॉल’ को भी जज्बाती होते देखा गया। जैसे ही फाइनल के ‘प्लेयर आफ द मैच’ विराट कोहली ने उन्हें विश्व कप ट्रॉफी सौंपी, उन्होंने इतनी जोर से आवाज निकाली मानो आखिर में अपने भीतर की तमाम भावनाओं की अभिव्यक्ति कर रहे हों। द्रविड़ को ऐसा करते देखने की कोई शायद कल्पना भी नहीं कर सकता। कभी वह सनसनीखेज हेडलाइन नहीं देते, लेकिन गैरी कर्स्टन की तरह टीम और खिलाड़ियों के साथ चुपचाप काम करते रहे। कोच के रूप में चुनौतियां आसान नहीं थी, क्योंकि उनके पास ऐसी टीम थी जिसके विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा फैंस हैं और जिस टीम में नामी गिरामी सितारे हैं। उन्हें मैनेज करना इतना आसान नहीं था। श्रीलंका के खिलाफ 2021 में सीमित ओवरों की एक सीरीज के बाद ही उनकी चुनौतियां शुरू हो गई थी। उन्हें नवंबर 2021 में आधिकारिक तौर पर भारत का पूर्णकालिक मुख्य कोच बनाया गया।
उनसे पहले रवि शास्त्री के कोच रहते भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया था लिहाजा उन पर टीम को आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी थी। कोच के रूप में वह ऑस्ट्रेलिया दौरा तो नहीं कर सके, लेकिन अलग अलग प्रारूपों में उनकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया। वैसे दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम के खिलाफ एक हार और एक ड्रॉ रही टेस्ट सीरीज उन्हें कचोटती रहेगी।
मैदानी चुनौतियों के अलावा सुपरस्टार से भरे भारतीय ड्रेसिंग रूम को संभालना कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। उन्हें पता था कि मामूली सी बात का भी बाहर तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगेगी। द्रविड़ में लेकिन हालात और लोगों को संभालने की जबर्दस्त खूबी है जिसका उन्होंने कोच के रूप में पूरा उपयोग किया। उन्होंने ऐसा माहौल बनाया जिसमें हर खिलाड़ी निखर सके। अब जब वह टीम से विदा हो रहे थे तो उनके चेहरे पर संतुष्टि थी, टीम इंडिया को चैंपियन बनाने की संतुष्टि। द्रविड़ इतने भावुक थे कि उन्होंने हर एक खिलाड़ी को काफी देर तक गले लगाया। हार्दिक पांड्या से लेकर, विराट कोहली और रोहित शर्मा, सबको गले लगाकर रोए। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे , 2021 टी20 विश्व कप के बाद भारतीय टीम के कोच बनने के बाद उन्होंने अनुभव और युवा जोश का अच्छा मिश्रण किया। द्रविड़ ने हमेशा अपने खिलाड़ियों पर भरोसा जिताया। बीते तीन साल में अलग अलग आईसीसी टूर्नामेंट में उन्होंने तीन बार भारत का फाइनल में पहुंचाया और इनमें से एक में टीम इंडिया चैंपियन भी बनी। द्रविड़ की कोचिंग में भारत का पहला आईसीसी टूर्नामेंट 2022 टी20 विश्व कप था और टीम इंडिया इसके सेमीफाइनल तक पहुंची थी और इंग्लैंड से हारकर बाहर हो गई थी। इसके बाद भारत के सामने 2023 टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल था। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया ने इसमें भी टीम इंडिया को शिकस्त दी।
2023 वनडे विश्व कप में भारत ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में भले हार गया हो, लेकिन भारत टूर्नामेंट की सबसे बेहतरीन टीम रही थी। उसने 11 में से 10 मैच जीते थे। अब टी20 विश्व कप 2024 में द्रविड़ की देखरेख में चैंपियन बन अपने कार्यकाल का उन्होंने बेहतरीन अंत किया। बतौर कोच द्विपक्षीय सीरीज में राहुल द्रविड़ का कार्यकाल शानदार रहा है। उनकी देखरेख में 17 द्विपक्षीय सीरीज में से भारतीय टीम ने 14 जीती है। आखिरकार भारत के इस लीजेंड का चैंपियन बनकर विदा होना पूरे देश और फैंस के लिए एक सुखद अहसास है।
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