दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से विपक्षी दलों के नेता एकजुट होते हुए देख रहे हैं। जिस तरीके से सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद समाजवादी पार्टी से लेकर जेडीयू और केसीआर से लेकर संजय राउत समेत तृणमूल कांग्रेस तक ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। हालांकि इससे अनुमान तो यही लगाया जा रहा है कि विपक्ष एकजुटता की ओर बढ़ रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की ज्यादा हो रही है कि क्या विपक्ष की मजबूती सिर्फ मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी पर दिए गए महज बयान तक सीमित रहेगी या इसका कोई रोड मैप 2024 के लोकसभा चुनावों तक भी तैयार होगा।
बीते कुछ समय से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के सियासी पार्टी को विस्तार देने की दिशा में देश के अलग-अलग राज्यों में न सिर्फ दौरा कर रहे थे, बल्कि प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों से मुलाकात भी कर रहे थे। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह सारी कवायद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर की जा रही है। इस पूरी कवायद में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ मिलकर एक बड़ा मंच तैयार कर रहे हैं। इसमें समाजवादी पार्टी से लेकर केरल के मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस समेत कई अन्य दलों की जुटान हो रही है। आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से अब इन्हीं सभी दलों के नेताओं ने ना सिर्फ इस पर केंद्र सरकार को घेरा है बल्कि कड़ी टिप्पणी भी की है। सियासी जानकार मानते हैं कि फिलहाल जिन नेताओं ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर ट्वीट किया है या बयान दिया है वह ज्यादातर वही लोग हैं जो केसीआर के साथ मिलकर सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें चाहे समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव हो या तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इस गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है और संजय राउत ने भी सरकार को घेरा है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस इस मामले में कितना खुलकर स्टैंड लेती है।
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