November 17, 2024 | | Udyam- UP-56-0040875 |
1200x300
FB_IMG_1673241862642
previous arrow
next arrow

विजय की हिंदी पट्टी में पैर जमाने की एक और कोशिश

तमिल और तेलुगू सिनेमा में सितारों के नाम से पहले कुछ न कुछ विशेषण जोड़ने की परंपरा अरसे से रही है। रजनीकांत को वहां थलाइवा रजनीकांत के नाम से पुकारा जाता है और जोसफ विजय चंद्रशेखर को दलपति विजय के नाम से। थलपति जैसा कोई शब्द न संस्कृत में है, न तमिल में और न हिंदी में, सही शब्द है दलपति। तमिल को अंग्रेजी में लिखे जाने के तरीके के चलते हिंदी पट्टी में विजय के नाम के साथ थलपति जुड़ गया है जबकि वह अपना नाम सिर्फ विजय ही लिखते हैं। सिनेमा के इस सामान्य ज्ञान के बाद बारी फिल्म के नाम की। तमिल में ‘वारिसु’ का हिंदी में मतलब होगा वारिस।

‘वारिसु’ की कहानी भारत के एक बड़े व्यवसायी राजेंद्रन की है। उसके दो बेटे जय और अजय उसका कारोबार संभालते हैं। तीसरा बेटा विजय अपने पिता से अलग होकर दूसरा कारोबार शुरू करता है। जब राजेंद्रन को पता चलता है कि वह कैंसर पीड़ित है, तो वह सोचते हैं कि वारिस किसे बनाया जाए, क्योंकि दो बड़े बेटे इस काबिल नहीं कि बिजनेस संभाल सके और तीसरा बेटा घर छोड़कर जा चुका है। राजेंद्रन का मानना है कि बिजनेस की बागडोर ऐसे बेटे के हाथ में सौंपा जाए, जो उसे और आगे बढ़ाए। मामला बिगड़ने लगता है और बुलावा जाता है विजय को। मां के जन्मदिन पर लाडला लौटता है। वह परिवार को वापस जोड़ने में पिता की मदद करता है। रिश्तों के नए नए रंग सामने आते हैं। कुछ सबक भी हैं इस फिल्म के और वे ये कि गलती बड़े की हो या छोटे की, गलती है तो उसे मान लेने में ही बड़प्पन है।

साउथ के सुपरस्टार विजय का अपना अभिनय पैटर्न है। वह नाचते अच्छा हैं। कॉमिक टाइमिंग उनका कमाल की है। साथ में रश्मिका ‘श्रीवल्ली’ मंदाना भी हैं। हिंदी सिनेमा में उनका जो भी हो रहा हो लेकिन साउथ सिनेमा में वह खूब खिली खिली ही हैं। उनके जिम्मे फिल्म का ग्लैमर बढ़ाने की जिम्मेदारी थी, उसे वह निभा गईं। प्रकाश राज के अपने तेवर हैं। विलेन बनते हैं तभी उनका तेज दमकता है। माता पिता के किरदार में जय सुधा और आर शरत कुमार और भाइयों की भूमिका में श्रीकांत और शाम ने दर्शकों को भावनाओं में बहा ले जाने का अच्छा काम किया है।

पौने तीन घंटे की फिल्म ‘वारिसु’ एक संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजक फिल्म है, बस हिंदी में इसके हीरो विजय की खास धमक अब तक बनी नहीं है। उनकी पिछली फिल्मों ‘मास्टर’ और ‘बीस्ट’ को भी हिंदी पट्टी में ज्यादा प्यार नहीं मिला। निर्देशक वामशी पेडिपल्ली साउथ के दिग्गज निर्देशक हैं। प्रभास, अल्लू अर्जुन और महेश बाबू के साथ धमाकेदार फिल्में बना चुके हैं। इस बार मामला पारिवारिक है। कुछ कुछ राजश्री की फिल्मों जैसी है फिल्म ‘वारिसु’। फिल्म के हिंदी संवादों पर मेहनत की जरूरत दिखती है। इसका हिंदी अनुकूलन भी वैसा नहीं है जैसा साउथ की हिट फिल्मों का होता रहा है। गीत संगीत भी हिंदी में डब होने के चलते असर नहीं छोड़ पाता। फिल्म तमिल में काफी हल्ला मचा रही है। हिंदी में इसका हल्ला मच पाएगा, फिल्म देखकर तो लगता नहीं है।

News Prasar

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.