महाशिवरात्रि 18 फरवरी को ही मनाया जाएगा। हालांकि महाशिवरात्रि तिथि 18 फरवरी की शाम छह बजे से है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हमेशा महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन चौदस तिथि को ही किया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव को पंचामृत से स्नान कराने के साथ ही बिल्व पत्र, भांग, धतूरा, फल-फूल आदि चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा करने वाले श्रद्घालुओं को पुण्य लाभ मिलता है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस बार इस तिथि की शुरुआत 18 फरवरी को शाम 05.55 बजे से होगा और अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 3.32 बजे समापन होगा।
ज्योतिषाचार्य विकास जोशी के मुताबिक प्रदोष पूजन 7.11 बजे तक करना उत्तम रहेगा। ज्योतिषाचार्य विकास जोशी के अनुसार महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी की शाम 5.57 बजे से शुरू होकर 19 फरवरी को सुबह करीब सात बजे तक होने से लोगों में महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर असमंजस है। पंचांग के आधार पर 19 फरवरी को उदया तिथि है, लेकिन उस दिन निशिता पूजा मुहूर्त अमावस्या तिथि में रहेगी। ऐसे में 18 फरवरी को चतुर्दशी तिथि में महाशिवरात्रि की निशिता पूजा मुहूर्त प्राप्त हो रही है। महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को मनाना श्रेष्ठ है।
ज्योतिषाचार्य पंडित विजेंद्र दत्त ने बताया कि हिंदू धर्म के व्रत और त्योहार उदया तिथि के आधार पर निर्धारित होते हैं, लेकिन कुछ व्रतों में निश्चित तिथि में ही उसकी पूजा, मुहूर्त या चंद्रोदय का समय उसकी तारीख को तय करते हैं। इसमें सूर्योदय के साथ की उदया तिथि गौण हो जाती है। शिवोपासना संस्थान डरबन साऊथ अफ्रीका के संस्थापक स्वामी राम भजन वन ने कहा कि 18 फरवरी की शाम छह से 19 फरवरी की सुबह सात बजे तक जलाभिषेक करना ही विशेष फलदायी रहेगा।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.